नई दिल्ली,29 सितम्बर। रूस-यूक्रेन युद्ध में नया मोड़ आ चुका है। लगभग ढाई साल तक दोनों सेनाएं मोर्चों पर भिड़ती रहीं, लेकिन अब यूक्रेन ने खेल बदल दिया है। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पुतिन के साम्राज्य की उस नस पर वार किया है, जिससे पूरा रूस जीवित है-“ऊर्जा साम्राज्य”। दरअसल रूस की ताकत ही अब उसकी कमजोरी है।रूस का तेल और गैस निर्यात ही उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। युद्ध से पहले बजट का 40% हिस्सा यहीं से आता था, अब भी 30% से ज़्यादा इसी पर निर्भर है। लेकिन यूक्रेनी ड्रोन हमलों ने इस आय को ही निशाने पर ले लिया है। यानी जो रूस की ताकत थी, वही अब उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन चुकी है।
यूक्रेन की “ड्रोन रणनीति”
- महंगे फाइटर जेट या मिसाइल नहीं, बल्कि सस्ते और लंबे रेंज वाले ड्रोन रूस की करोड़ों डॉलर की रिफाइनरियों को पंगु बना रहे हैं।
- यूक्रेन तेल स्टोरेज टैंकों पर नहीं बल्कि प्रोसेसिंग यूनिट्स पर वार कर रहा है।
- उनकी मरम्मत के लिए ज़रूरी पार्ट्स और तकनीक रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से नहीं मिल रही।
- नतीजन एक छोटा ड्रोन महीनों तक पूरे रिफाइनरी को ठप कर देता है।



