नेशनल डेस्क/ नई दिल्ली,8 अक्टूबर। देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और उसमें हो रही जानलेवा घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने पैदल यात्रियों की सुरक्षा, हेलमेट नियमों के पालन और खतरनाक ड्राइविंग की रोकथाम के लिए राज्यों और नगर निकायों को कड़े निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें सरकार की ओर से सड़क सुरक्षा के प्रति उदासीनता पर आपत्ति जताई गई थी।
2023 में पैदल यात्रियों की मौतों में जबरदस्त वृद्धि
सड़क परिवहन मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल भारत में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 1,72,890 लोगों की जान गई, जिनमें से 35,221 पैदल यात्रियों के रूप में थे। यह आंकड़ा कुल मौतों का 20.4% है, जो 2016 के 10.44% की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फुटपाथों पर हो रहे अतिक्रमण और उनका गलत उपयोग पैदल यात्रियों को सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर रहा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है।
50 प्रमुख शहरों में फुटपाथ और क्रॉसिंग का ऑडिट अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने भारत के 50 बड़े शहरों में फुटपाथ, पैदल यात्री क्रॉसिंग, ज़ेबरा लाइन, फुटओवर ब्रिज और सड़क की रोशनी का व्यापक ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। इसमें विशेष तौर पर उन इलाकों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां हाल के वर्षों में पैदल यात्रियों की चोटें या मौतें हुई हों। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, स्कूल और बाजार जैसे भीड़भाड़ वाले स्थान इस ऑडिट का हिस्सा होंगे ताकि पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
हेलमेट नियमों के उल्लंघन पर सख्ती से कार्रवाई का आदेश
कोर्ट ने दोपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं में हो रही मौतों की बढ़ोतरी पर चिंता जताई और हेलमेट पहनने के नियमों को लागू कराने के लिए तकनीकी साधनों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया। इस संदर्भ में E-Enforcement तंत्र जैसे कैमरों की तैनाती का सुझाव दिया गया है। साथ ही, गलत लेन ड्राइविंग, तेज ओवरटेकिंग जैसी खतरनाक ड्राइविंग प्रथाओं को रोकने के लिए स्वचालित कैमरे, सड़क पर रंबल स्ट्रिप्स और टायर किलर जैसे उपाय लागू करने के भी आदेश दिए गए हैं।



