निकाह की तकरीब के मौक़े पर मुफ़्ती आरिफ़ जैसलमेरी, लुधियानवी ने किया ख़िताब
कहा: निकाह इंसानी नस्ल की बक़ा और रिश्तों की मज़बूती का ज़रिया है
लुधियाना,4 नवम्बर। शहर लुधियाना के मशहूर समाजसेवी हाजी मुहम्मद सगीर की बेटी दरख़्शाँ अंबर का निकाह मुहम्मद फ़िरोज़ ख़ान गली मोहल्ला नसीराबाद अजमेर, राजस्थान के साहबज़ादे मुहम्मद इमरान ख़ान मनसूरी अजमेरी से पिछली रात अंजाम पाया। निकाह की तकरीब में मेहमान-ए-ख़ुसूसी के तौर पर मुहम्मद फ़िरोज़ मनसूरी अजमेरी, मौलाना मुहम्मद जमाल मुक़ीम अजमेर, मौलाना मुहम्मद खुर्शीद अजमेर, नसरुलहक़, साबिर हुसैन, मुहम्मद मंज़ूर मनसूरी, मुहम्मद अख़लाक़ अजमेरी और मुहम्मद मुमताज़ मुज़फ्फरपुरी वग़ैरह शामिल हुए।
निकाह से पहले अजमेर और लुधियाना के अवाम व ख़्वास से ख़िताब करते हुए मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ़ जैसलमेरी सुम लुधियानवी ने निकाह की ज़रूरत और अहमियत पर तफ़सीली रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि निकाह इबादत है और हमारे नबी की बहुत अहम सुन्नत है। निकाह हर इंसान की फ़ितरी ज़रूरत और जिंसी तस्कीन (यानी वैवाहिक संतोष) का जायज़ रास्ता है। जो लोग निकाह जैसे क़ानून-ए-फ़ितरत से बग़ावत करते हैं, वो जिंसी तस्कीन के लिए नाजायज़ रास्तों पर चल पड़ते हैं और इस तरह दुनिया और आख़िरत दोनों जगह ज़लील और रुसवा होते हैं।
मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ़ लुधियानवी ने कहा कि बाप, माँ, चाचा, ताया और फूफा, मामू जैसे ख़ूबसूरत रिश्ते निकाह ही की बरकत से वजूद में आते हैं, जिनकी इंसानी ज़िंदगी में बहुत अहमियत है। उन्होंने कहा कि निकाह जैसी फ़ितरी ज़रूरत से जब मग़रिब (पश्चिमी दुनिया) ने बग़ावत की राह इख़्तियार की, तो आज उनका समाज हमारे सामने है — उनके यहाँ रिश्तों का न कोई इल्म है और न कोई पास व लिहाज़। वो जानवरों जैसी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।
मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ़ जैसलमेरी सुम लुधियानवी ने कहा कि निकाह सिर्फ़ दो इंसानों का मिलन ही नहीं बल्कि दो ख़ानदानों के आपसी ताल्लुक़ और समाज व मिल्लत की मज़बूती का भी ज़रिया है। इससे बढ़कर ये इंसानी नस्ल की बक़ा और तहफ़्फ़ुज़ का अहम ज़रिया भी है। ज़रूरत इस बात की है कि शरीअत और सुन्नत के मुताबिक़ सादगी के साथ इस सुन्नत को अंजाम दिया जाए और क़ुरआन व हदीस की तालीमात के मुताबिक़ निकाह तक रसाई को आसान बनाया जाए। इस तरह हमारा मआशियाती (आर्थिक) निज़ाम मज़बूत होगा और बहुत सी समाजी बुराइयों का खात्मा होगा।
मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ़ लुधियानवी ने इस मौक़े पर दरख़्शाँ अंबर के वालिद हाजी सगीर अहमद, मुहम्मद इमरान ख़ान मनसूरी अजमेरी के वालिद मुहम्मद फ़िरोज़ ख़ान और अजमेर व लुधियाना के दूसरे मेहमानों के मस्जिद में निकाह करने के फ़ैसले को सराहा और कहा कि मस्जिद में निकाह करना सुन्नत है। इसका बड़ा फ़ायदा ये भी है कि मस्जिद में निकाह करने से बहुत सी उन बुराइयों और गुनाहों से आसानी से बचा जा सकता है जो आजकल निकाह के मौक़ों पर आम हो गई हैं।
रात क़रीब सात बजे मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ़ लुधियानवी ने निकाह पढ़ाया और मुफ़्ती साबिर हुसैन मोतिहारी की दुआ पर ये तकरीब-ए-निकाह मुकम्मल हुई। इस मौक़े पर मौलाना मुबश्शिर इमाम व ख़तीब मस्जिद सिद्दीक़ राहों रोड लुधियाना, हाजी मुहम्मद सगीर, मुहम्मद फ़िरोज़ ख़ान अजमेरी, हाजी मुहम्मद फ़ुरक़ान एल ब्लॉक, हाजी मुहम्मद निसार इंद्रा कॉलोनी, मौलाना एहतेशामुल हक़, नूरुल हक़, हाफ़िज़ मुहम्मद आतिफ़, मुहम्मद शाहिद और पीर मुहम्मद साहब समेत दूल्हा-दुल्हन के कई रिश्तेदार मौजूद रहे। सब ने दूल्हा-दुल्हन के लिए नेक ख़्वाहिशात का इज़हार किया और उन्हें अपनी दुआओं से नवाज़ा।



