मौलाना इरफानुल्लाह, मौलाना हबीबुल्लाह मदनी, मुफ्ती अबरार और मुफ्ती आरिफ लुधियानवी ने किया संबोधन
प्रधान इशरत अली और “नुसरतुल मसाकीन” संस्था के जिम्मेदारों ने निभाई अहम भूमिका
बसैड़ा खुर्द,8 नवम्बर। बसैड़ा खुर्द के मौजूदा प्रधान और क्षेत्र के लोकप्रिय सामाजिक व राजनीतिक नेता इशरत अली ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी क़ारी मुजाहिदुल इस्लाम बिजनौरी और नुसरतुल मसाकीन सोसाइटी बसैड़ा खुर्द के अन्य जिम्मेदारों व कार्यकर्ताओं की दिन-रात की मेहनत से यह अज़ीमुलशान जनसभा आयोजित हुई।
इस कार्यक्रम की सदारत और सरपरस्ती के फ़र्ज़ मौलाना इरफानुल्लाह क़ासमी (मुबल्लिग़ दारुल उलूम देवबंद) और नबीरा-ए-शेखुल इस्लाम मौलाना सैयद हबीबुल्लाह मदनी (साबिज़ादा मौलाना सैयद मोहम्मद अरशद मदनी, सदर—जमीयत उलमा-ए-हिंद) ने अंजाम दिए।
कार्यक्रम की शुरुआत क़ारी आफ़ताब आलम (उस्ताद, शाखा तजवीद व क़िराअत, दारुल उलूम देवबंद) की तिलावत-ए-कुरआन और क़ारी मोहम्मद इकरार साहिल की नात-ए-नबी से हुई। कार्यक्रम का संचालन और एलान मौलाना मोहम्मद जाबिर फरहत तावली (उस्ताद, जामिया फ़लाह-ए-दारैन इस्लामिया, बिलासपुर) ने किया।
मौलाना सैयद हबीबुल्लाह मदनी ने अपने सदारती खिताब में दीन व ईमान की जिंदगी गुजारने की नसीहत करते हुए कहा कि सहाबा-ए-किराम वह मुकद्दस व मुबारक जमाअत है, जिन्हें अल्लाह ने नबी-ए-पाक ﷺ की रफ़ाकत के लिए चुना। उनकी तालीम व तरबियत के सारे मरहले खुद नबी के हाथों ऐसे पूरे हुए कि वे ईमान और इंसानियत के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे।
कुरआन ने उनके अदल व तक़्वा की गवाही दी और उनके ईमान को क़यामत तक आने वाले इंसानों के लिए नमूना (आदर्श) बताया।
उन्होंने कहा कि कुरआन, हदीस और सहाबा की सीरत में हर तरह की रहनुमाई मौजूद है। हमें पश्चिमी जीवनशैली की चकाचौंध से प्रभावित या मरऊब होने की जरूरत नहीं है, और न ही किसी बातिल निजाम की नकल करने की आवश्यकता है। मौलाना मदनी ने कहा कि जैसे इबादतों में इस्लाम नज़र आता है, वैसे ही हमारी तहज़ीब व सक़ाफ़त में भी इस्लाम झलकना चाहिए।
मौलाना इरफानुल्लाह क़ासमी, मुफ्ती मोहम्मद अबरार मीरठी (महत्वम, मदरसा दारुल उलूम फारूकिया रसूलपुर, औरंगाबाद मीरठ) और मुफ्ती मोहम्मद आरिफ लुधियानवी (कन्वीनर, जमीयत उलमा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व चंडीगढ़) ने अपने खिताबात में कहा कि घरों के माहौल को पाक-साफ बनाने और दीन के अनुसार औलाद की तालीम व तरबियत में खवातीन (महिलाओं) का किरदार भुलाया नहीं जा सकता।
अंत में मौलाना इरफानुल्लाह क़ासमी के खिताब पर जनसभा का समापन हुआ।
कार्यक्रम के प्रतिभागियों में मुफ्ती मोहम्मद मुजाहिद क़ासमी बिजनौरी (इमाम व ख़तीब, जामा मस्जिद पीपाड़, राजस्थान), मुफ्ती मोहम्मद अरशद (जनरल सेक्रेटरी, जमीयत उलमा जिला बिजनौर), और मुफ्ती मोहम्मद शुऐब (इमाम व ख़तीब, मदीना मस्जिद, बसैड़ा खुर्द) के नाम विशेष रूप से शामिल रहे।



