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सुल्तानपुर लोधी, 17 अप्रैल( डा.सुनील धीर) बैसाखी को समर्पित पवित्र वेणई तट पर पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सीचेवाल के नेतृत्व में कवि दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें 20 से अधिक कवियों ने भाग लिया और अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इस दौरान कवि दरबार के संचालक पंजाबी साथ यू.के. मोता सिंह सराय भी विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमने न केवल नहरों और नदियों को प्रदूषित किया है, बल्कि अपनी मातृभाषा से भी मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि आज हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने के प्रयास करने की जरूरत है।
कवि दरबार की शुरुआत करते हुए मुख्तियार सिंह चंदी ने मानवता और खालसा पंथ पर रचना प्रस्तुत की। मैंने मसीहा दिखाया यार तेरे शहर दा.. संत सिंह संधू ने संत सीचेवाल और उनकी संगति द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। इसी तरह, कलवंत सिंह औजला द्वारा पंजाब दा खाब, लाडी भुल्लर द्वारा केसगढ़, गुरमेल जैनपुरी द्वारा ज़ोर ज़ुलम ते तरस और कुलविंदर कौर कंवल द्वारा अमन एकता राही खुशियां ​​जैसी रचनाएँ प्रस्तुत की गईं। इस अवसर पर उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रकृति एवं जल संरक्षण के प्रति जिम्मेदारियों पर रचनाएं प्रस्तुत कीं। कवि दरबार से पहले पवित्र तट पर गुरुद्वारा गुरुप्रकाश साहिब में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें संत अवतार सिंह मेमोरियल स्कूल के बच्चों ने कीर्तन कर संगत को दिव्य भजनों से बांधे रखा।
इस मौके पर आए कवियों का स्वागत करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि आधुनिक मनुष्य ने प्रकृति और उसकी दुर्दशा से शिकायत की है। उन्होंने कहा कि वायु, जल और भूमि प्रदूषण से मुक्त होने पर ही पूरा विश्व सुखी रह सकता है। संत सीचेवाल ने आये कवियों को सिरपो का प्रसाद एवं पौधे देकर सम्मानित किया गया। मंच सचिव की भूमिका संत सुखजीत सिंह ने निभाई।

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